
हर सीन में एक सोच, हर मूवमेंट में एक मकसद होता है।
जब भी हम किसी शानदार शॉर्ट फिल्म या डिजिटल कंटेंट को देखते हैं, उसके पीछे कई क्रिएटिव दिमाग काम कर रहे होते हैं, लेकिन सबसे अहम होता है वो इंसान जो हर फ्रेम के पीछे जान फूंकता है। ऐसा ही एक नाम है Abhishek K. Samrat एक जुनूनी और उभरते हुए Digital Film Director और Director of Photography (DOP), जो कहानी को कैमरे से सोचते हैं।
शुरुआत एक सपने से
उत्तर प्रदेश के एक कस्बे से निकलकर मुंबई जैसे फिल्म सिटी में कदम रखना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन अभिषेक ने यह साबित किया कि अगर इरादे पक्के हों और नज़रिए में सिनेमा हो, तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता है। उन्होंने जॉइनफिल्म्स अकैडमी और IFTA Mumbai जैसे संस्थानों से प्रैक्टिकल फिल्ममेकिंग और डिजिटल सिनेमैटोग्राफी की ट्रेनिंग ली और अपने स्किल्स को ग्राउंड लेवल से निखारा।
सेट से स्क्रीन तक एक डायरेक्टर की भूमिका
Abhishek का मानना है कि “हर फ्रेम सिर्फ एक पिक्चर नहीं, बल्कि एक भावना होती है।” यही वजह है कि वो स्क्रिप्ट ब्रेकडाउन से लेकर कैमरा एंगल्स, लाइटिंग, ब्लॉकिंग और एडिटिंग तक हर स्टेज में पूरी तरह इन्वॉल्व रहते हैं।
उन्होंने कई शॉर्ट फिल्मों में बतौर Assistant Director और Creative Film Director काम किया, जैसे कि
- “A Girl”,
- “The Retirement”
- “Vyatha”
- “Planned Love”
- “Gold Money”,
- और “U-Turn” जैसी शॉर्ट फिल्मों में।

इन प्रोजेक्ट्स में उन्होंने डायरेक्शन, कैमरा टीम के साथ कोऑर्डिनेशन, शॉट डिजाइनिंग और विज़ुअल नैरेटिव को एक लेवल ऊपर ले जाने का काम किया।आज की डिजिटल सिनेमा की नई लहर हैं, जो कम संसाधनों में भी बड़े विज़न लेकर काम कर रहे हैं।
फिल्ममेकिंग को सिर्फ एक टेक्निकल प्रोसेस नहीं मानते, बल्कि वो इसे “इमोशनल विज़ुअल आर्ट” की तरह ट्रीट करते हैं। उन्हें कैमरा मूवमेंट, लाइटिंग डिजाइन और मूड टोनिंग के ज़रिए दर्शकों के दिल तक पहुँचना पसंद है।
जल्द ही एक इंडिपेंडेंट शॉर्ट फिल्म फिल्म फेस्टिवल सर्किट में भेजने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें वो Direction और DOP दोनों की भूमिका निभाएंगे। उनका सपना है ऐसी कहानियाँ बनाना जो सिर्फ देखी न जाएं — बल्कि महसूस की जाएं।
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